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हाईकोर्ट के महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता को क्यों कहा ब्लैकमेलर, अदालत ने फिर मांगा आय का विवरण

05-Jul-2024 || By SURESH CHAND SHARMA

हाईकोर्ट के महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता को क्यों कहा ब्लैकमेलर, अदालत ने फिर मांगा आय का विवरण

नैनीताल। कुछ विशेष मामलों में सरकार की ओर से प्रभावी पैरवी के लिए सर्वोच्च न्यायलय से स्पेशल काउंसिल बुलाने राज्य सरकार की ओर से उनके प्रति सुनवाई लाखों का भुगतान किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर उच्च न्यायलय में सुनवाई हुई।

और गुरुवार को पीठ के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने याचिका को निरस्त करने योग्य बताया। और कहा कि महाधिवक्ता ने मामले में मुख्यमंत्री और मुख्य स्थायी अधिवक्ता को पक्षकार बनाने का कड़ा विरोध भी किया गया। महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता पर तमाम कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता आए दिन सरकार को ब्लैकमेल करता रहता है। इस पर अदालत ने राज्य सरकार से याचिकाकर्ता पर लगाए गए गंभीर आरोपों की पूरी आख्या दस दिन के भीतर अदालत में पेश करने को कहा है।

और अदालत ने याचिकाकर्ता को भी दस दिन के भीतर खुदका शपथपत्र देकर यह बताने को कहा है कि वह कितना आयकर सरकार को देते हैं और अभी तक उनकी ओर से कितने सामाजिक कार्य किए गए हैं।उसका पूरा विवरण कोर्ट ने मौखिक तौर पर याचिकाकर्ता से मासिक आय का विवरण आदि से संबंधित अन्य सवाल भी पूछे। और समय का अभाव होने की वजह से अगली सुनवाई दस दिन बाद होगी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता चोरगलिया निवासी भुवन पोखरिया ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए यह भी कहा कि विपक्षियों को याचिका में इसलिए पक्षकार बनाया गया है क्योंकि सर्वोच्च न्यायलय से स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के लिए तो मुख्य सचिव और ही न्याय विभाग से अनुमति ली गई है।

सुनवाई के दौरान स्पेशल काउंसिल नियुक्त कर उन्हें लाखों का भुगतान कर दिया गया। जिसकी अनुमति शासनादेश नहीं देता और इसलिए इसकी जांच किया जाना आवश्यक है और यहां तक कि विशेष काउंसिल नियुक्ति वाले मामलों में सरकार करीब 70 प्रतिशत मुकदमे हार गई। उनकी ओर से लगाए गए आरोप जांच योग्य हैं।

और साथ ही उन पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उनका प्रमाण वह पहले से ही अदालत में प्रस्तुत कर चुके हैं। अगर वह अभियुक्त दोषी पाए जाते है तो उन्हें अदालत से ही जेल भेज दिए जाए। इधर, याचिकाकर्ता भुवन पोखरिया ने लिखित में बयान जारी कर कहा है कि महाधिवक्ता की ओर से उन्हें खनन माफिया खनन का ठेकेदार बताया गया है।

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