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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट: Print, YouTube और इंटरनेट मीडिया साइबर क्राइम की रिपोर्ट से भरा पड़ा है,और हम इसे चाहकर भी नजर अंदाज नहीं कर सकते

06-Jul-2024 || By SURESH CHAND SHARMA

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट: Print, YouTube और इंटरनेट मीडिया साइबर क्राइम की रिपोर्ट से भरा पड़ा है,और हम इसे चाहकर भी नजर अंदाज नहीं कर सकते

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट हालहि में साइबर क्राइम के बढ़ते दायरे पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ये साइबर क्राइम सरीफ लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। और साइबर क्राइम हर आयु, हर वर्ग के लोग इनके निशाने पर हैं। प्रिंट, यूट्यूब इंटरनेट मीडिया इसकी इनकी रिपोर्टो से भरा हुआ है और दिन कही ना कही क्राइम हो रहा है और ऐसे में इसे अदालत नजरअंदाज नहीं कर सकते।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अब मामले को महत्पूर्ण गंभीरता से लेते हुए दूरसंचार मंत्रालय को साइबर क्राइम से ठगी को रोकने के लिए उपाय सुझाव केंद्रीय गृह मंत्रालय को 31 जुलाई 2024 तक सौंपने का आदेश दिया है। और हाईकोर्ट के समक्ष हिसार शहर में साइबर क्राइम से जुड़े मामले में आरोपियों की नियमित बैल /जमानत याचिका सुनवाई के लिए अदालत पहुंची थी। और याची पर गंभीर आरोप है कि उसने ठगों को प्रीपेड नंबर उपलब्ध कराया और उनको एक्टिवेट भी करवाया।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अब विस्तृत रिपोर्ट थाना हाजा से मंगवाई तो पता चला कि याची के नाम पर 35 सिम कार्ड जारी किए गए थे। इस पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए यह भी पूछा कि दूरसंचार मंत्रालय व्यक्तियों, फर्मों या कंपनियों को अपने नाम से कई प्रीपेड सिम कार्ड प्राप्त करने की अनुमति क्यों देता है? आधार कार्ड ओटीपी जनरेशन के लिए एक ही सिम कार्ड से जुड़ा हुआ है, इसलिए कई प्रीपेड सिम कार्ड जारी करने का कोई औचित्य नहीं लगता है। एक भी कारण हो सकता है साइबर क्राइम का

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यदि प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक ही प्रीपेड सिम कार्ड तक सीमित रखने से साइबर क्राइम में कमी आने की संभावना हो सकती है और दूरसंचार मंत्रालय इस तरह का प्रतिबंध लागू यदि करता है, तो यह साइबर क्राइम की घटनाओं पर प्रभावी रूप से अंकुश लग सकता है। और जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय ठग और धोखाधड़ी के मामलों में कमी भी आएगी और साइबर फ्रॉड के मामलों में भारत की छवि में सुधार भी होगा।

अदालत ने केंद्र सरकार, दूरसंचार मंत्रालय, भारत सरकार को इस मामले में पक्ष बना कर 1 जुलाई 2024 तक जवाब दाखिल करने का आदेश जारी किया था। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट को बताया गया कि 26 जून को टेली कम्युनिकेशन एक्ट लागू कर दिया गया है। ऐसे में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले को वहीं समाप्त कर दिया।

अब याचिका का निपटारा करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि साइबर क्राइम पूरे देश में लोगों को प्रभावित कर रहा है, चाहे वे किसी भी धर्म, शिक्षा या वर्ग के हों। आये दिने समाचार पत्र, पत्रिकाएं, यूट्यूब चैनल और यहां तक कि इंटरनेट मीडिया भी अनगिनत निर्दोष पीड़ितों की पीड़ा से भरे पड़े हैं और इन खबरों रिपोर्टों को एजेंडा के रूप में दरकिनार नहीं किया जा सकता।हाई कोर्ट ने एक कहावत का भी जिक्र किया यदि ऐसा किया गया तो यह बिलकुल वैसा होगा कि खुला दूध छोड़ कर बिल्लियों को पिंजरे की धमकी देकर डराना।

यदि साइबर क्राइम भड़ता गया तो लोगों के बीच गुस्से को बढ़ाएगा जो देश हित में नहीं है।और केंद्रीय दूरसंचार सचिव से इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट और सुझाव तैयार करें और इसे केंद्रीय गृह सचिव को 31 जुलाई 2024 तक सौंपे जाने को हाई कोर्ट ने कहा और यह ध्यान दिया जाए कि सिम और फोन आधारित साइबर अपराधों को खत्म करने या कम से कम सीमित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

प्रीपेड सिम कार्ड और भ्रामक मार्केटिंग कंपनियों के माध्यम से धोखाधड़ी ठगी वाली गतिविधियों का भी ध्यान रखा जाए। अदालत ने वीपीएन का उपयोग करके वायरस के माध्यम से ओटीपी के धोखाधड़ी व ठगी वाले प्राधिकरण सहित ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए एक व्यापक रणनीति की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर दिया है।जिससे साइबर क्राइम काम किया जा सके!

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