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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को क्यों दिया आदेश, जिसकी दुकान तोड़ी उसे देना है 5 लाख रुपए का मुआवजा !
झारखंड उच्च न्यालय ने राज्य सरकार को निजी स्वामित्व वाले भवन को ध्वस्त करने पर 5 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। जिस भवन को ध्वस्त किया गया था जिसमे पांच दुकानें थीं। और अदालत ने इस कार्रवाई को राज्य सरकार की मनमानी मानते हुए दुकान मालिक को 25,000 रूपए का भुगतान करने का निर्देश दिया है। आप को बता दें कि ग्राम चतरा जिले के निवासी श्री राजेंद्र प्रसाद साहू की एक बिल्डिंग को जिला प्रशासन ने बिना नियमों का पालन किए ध्वस्त कर दिया था। इसको लेकर राजेंद्र साहू ने उच्च न्यालय में गुहार लगाई थी। और राजेंद्र साहू के तरफ से अधिवक्ता श्री आयुष आदित्य और श्री आकाश दीप ने अदालत में बहस की। और उसी मामले की सुनवाई न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की कोर्ट में हुई।
मामला वर्ष 2011 का है और जब जिला प्रशासन ने बिना उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए और नोटिस जारी किए बिना राजेंद्र साहू की पांच दुकानों को ध्वस्त कर दिया था।और राज्य सरकार की तरफ से सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया गया कि तोड़ी गई संरचनाएं अवैध अतिक्रमण थीं। वहीं दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने आदेश दिया कि ध्वस्त संपत्ति के पुनर्निर्माण और उसे हुई मानसिक परेशानी के लिए राज्य सरकार मुआवजा देगी। और अपने आदेश में झारखंड हाईकोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं रह गया है।लेकिन , यह संवैधानिक और मानवीय अधिकार बना हुआ है। और इसलिए कानून के तहत ही किसी को उसकी संपत्ति से वंचित किया जाए।