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सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML )ने याचका दायर की है जिसे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA )के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगने की मांग सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर में की है/ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ( IUML )का कहना है कि CAA असवैधानिक मुसलमान के खिलाफ भेदभावपूर्ण है!
आईयूएमएल (IUML ) ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि नागरिक सुरक्षा नियम 2024 मनमाने तारिके से या केवल धार्मिक पहचान के आधार पर एक वर्ग केव्यक्ति को अनुचित लाभ पैदा करते है इसमें यह भी कहा है कि जो सविधान के अनुछेद 14 और 15 का उलंघन है और CAA के प्रावधानों को चुनौती देने वाली लगभग 250 याचिकाएँ शीर्ष अदालत के समक्छ लंबित है !
यदि सुप्रीम कोर्ट CAA को असवैधानिक माना जाता है तो एक असामान्य िस्थति उत्पन होगी और यदि जिन लोगो को लागू अधिनियम और नियम के तहत नागरिकता मिल गयी होगी तो उसकी नागरिकता छीन जाएगी
IUML का कहना है की CAA और नियमो की कार्यन्वयक को तब तक िस्तगित करने की मांग की है जो पयटक वियक्ति के सर्वोतम हित में है जब तक न्यालाय का कोई न कोई फैसला नहीं कर देता
भारत सरकार ने देश भर लागू नागरिकता संसोधन कानून (CAA) कर दिया है ! इसके अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से ए गैर मुस्लिम को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी
CAA के तहत इन देशों से आए हिंदू ईसाई सिख जैन और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्राबथान शामिल है ज्ञात होगा कि संसद के दोनों सदनों में CAA 11 दिसंबर 2019 में पारित किया गया था ! पारित होने के 1 दिन बाद ही राष्ट्रपति की ओर से इसे मंजूरी दे दी गई थी यह कानून उन लोगों पर लागू होगा जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे