The requested blog post is not available.
सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी होने से जुड़ी एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट का कहना है एक जनहित याचिका पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 479 देशभर के उन विचाराधीन कैदियों पर भी लागू होगी, कि जिन कैदियों पर एक जुलाई 2024 से पहले मामले दर्ज किए गए हैं। और अदालत का ये आदेश जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदियों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी होने से जुड़ी एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 479 देशभर के उन विचाराधीन कैदियों पर भी लागू होगी, जिन पर एक जुलाई, 2024 से पहले मामला दर्ज है। इस जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदियों के मुद्दे को कहीं हद तक सुलझाया जा सकता है।
क्या है BNSS की धारा 479
BNSS की धारा कहती है कि धारा 479 के मुताबिक, उन विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है कि जो कैदियों पर अपराध के लिए होने वाली सजा की अधिकतम अवधि का आधा वक्त हिरासत में गुजार चुके हैं।और इसी के तहत प्रावधान यह भी है कि अगर विचाराधीन कैदी पहले किसी अपराध के लिए दोषी करार न दिया गया हो और धारा 479 के मुताबिक उसे उस अपराध के लिए अधिकतम सजा का 1/3 वक्त जेल में काटने पर ज़मानत दी जा सकती है।
जेलों में तेजी से घटेगी कैदियों की क्षमता!
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि देश भर में एक जुलाई 2024 से नए क़ानून लागू हुए हैं। और BNSS की धारा 479 के तहत ज़मानत के प्रावधान 1 जुलाई से पहले गिरफ्तार लोगों पर भी लागू माने जाएगा। यानी इसका रेट्रोस्पेक्टिव या कहें तो भूत लक्षित असर भी होगा।