विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कोर्ट ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ 13 नवंबर को नया जमानती वारंट जारी किया, क्योंकि वह अंतिम दलीलों के लिए कोर्ट में उपस्थित नहीं हुईं। भारतीय जनता पार्टी की नेता प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर विस्फोट में आरोप हैं, जिसमें छह लोगों की जान चली गई और 101 से अधिक लोग घायल हो गए।
अदालत विशेष सत्र न्यायाधीश अदालत में लाहोटी ने ठाकुर द्वारा 13 नवंबर तक कोर्ट में पेश होने के पिछले सप्ताह के निर्देश का पालन नहीं करने पर ₹10,000 का जमानती वारंट जारी किया। और वारंट परआख्या के लिए मामले को 2 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
5 नवंबर को जारी पिछले जमानती वारंट में, अदालत ने उल्लेख किया था कि ठाकुर 4 जून, 2024 से अनुपस्थित थीं, जबकि मामला अपनी अंतिम सुनवाई के चरण में था। अदालत ने छूट के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, जिसमें उन्होंने शरीर के विषहरण के लिए चल रहे आयुर्वेदिक उपचार का हवाला दिया था। ठाकुर ने अदालत में पेश होने से छूट पाने के लिए अक्सर स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला दिया है। मार्च 2024 में, उनकी अनुपस्थिति के बाद इसी तरह का एक और जमानती वारंट जारी किया गया था, किन्तु कोर्ट में पेश होने के बाद इसे रोक दिया गया था। जुलाई में मालेगांव मामले ने बहस के अपने अंतिम चरण में प्रवेश किया। अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों की जांच करने के बाद सितंबर 2023 में सात आरोपियों के खिलाफ अपने साक्ष्य समाप्त कर लिए। और उक्त मामले में विस्फोट 29 सितंबर, 2008 को हुआ था,
जब मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर नासिक जिले के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल से जुड़े एक विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हुआ था। और एनआईए की जांच में ठाकुर को मोटरसाइकिल का मालिक बताया गया।
इस मुक़दमे में गृह मंत्रालय के निर्देश के तहत अप्रैल 2011 में जांच का नियंत्रण संभालने वाली एनआईए ने आरोपपत्र में ग्यारह संदिग्धों के नाम दर्ज किए, जिनमें प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय और सेवारत सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित शामिल हैं।